Thursday, 23 September 2021

यूँ कब तलक गिरती रहेंगी लाशें

 यूँ कब तलक गिरती रहेंगी लाशें,

यूँ कब तलक थमती रहेंगी सांसें।


जन्म-मृत्यु का खेल सदा ही देखा,

पर ना देखे यूँ भयावह तमाशे।


सब वाकिफ इस खेल के अंजाम से,

तभी सम्हलकर चल रहे हैं पासे।


कुछ नासमझ तो अभी भी ऐसे हैं, 

जो बजा रहे हैं जड़ता के ताशे।


मर्ज़ तो बहुत समझदार है लगता,

जो रूप बदलकर दे रहे है झांसे।


- दिलीप कुमार

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