मुक्तक
-----------
जिसे तुम देश कहते हो उसे मैं जान कहता हूँ ।
जिसे तुम धर्म कहते हो उसे ईमान कहता हूँ ।
वतन खातिर जिसकी तुम जीने का दम्भ भरते हो।
मैं उसकी खातिर अपनी निछावर जान करता हूँ ।
दिलीप कुमार
No comments:
Post a Comment