Friday, 21 August 2020

गज़ल

        गज़ल

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विचारों को उदार कर तू इसे न तंग कर,

आजाद कर ख़याल को तू इसे न बंद कर।


बड़ी रंगत है जग में  इसे यूँ रहने दो,

तू भी रंग इसमें भर इसे न बेरंग कर।


लगती भली दुनियाँ है प्यार और इश्क में,

सबसे प्यार तू भी कर बेवजह न जंग कर।


पड़ती यहाँ देनी बलि अमन की रक्षा में,

तू भी इसे अभेद रख  इसे यूँ न भंग कर।


गर शूल है दुनियाँ में तो साथ में गुल भी,

गठजोड़ कर गुल से तुम शूल से न संग कर। 

               

कारनामे करने में  लोग बड़े लीन हैं,

कमाल यहाँ तू भी कर फिर जग को दंग कर।


                          -  दिलीप कुमार

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