Monday, 21 September 2020

ग़ज़ल

 समझदार होकर तुम क्यों सवाल करते हो,

बेवजह ,बेबुनियाद क्यों बवाल करते हो।


जैसे चलते आया है वैसे चलने दो,

हमें रोकने खड़ी क्यों दीवाल करते हो।


बोलने वालों का हश्र तुम्हें पता ही है, 

फिर भी बोलकर अपना क्यों काल करते हो।


तुम भी चुपचाप अपना काम करते रहिए, 

यूँ ही हमारे आगे क्यों गाल करते हो। 


हालात ठीक ठाक है बनिस्बत पहले के, 

इसे खराब करने का क्यों ख़्याल करते हो।                 


बोलना ठीक नहीं विरोध में जानते हो,

फिर बोलकर खून में क्यों उबाल करते हो,


सब मौन नतमस्तक हो सजदा कर रहें हैं, 

तो तुम पूछकर ऊँचा क्यों भाल करते हो।


                           -  दिलीप कुमार

Friday, 4 September 2020

चौपाई

 

                            । । चौपाई ।।


                                  वंदना

                                 ______


सुनो प्रभु तुम विनती हमारी । हाथ जोड़ करूँ जय तुम्हारी ।।

काम,क्रोध ,मद ,लोभ अपारा । दूर करो ये दोष हमारा ।।


मालिक तुम हम दास तुम्हारा । तुम करते सबका उद्धारा ।।

हमरो करहू तुम उद्धारा ।     सविनय है बस यही हमारा ।।


हम निर्बल हैं तुम बलवाना ।  तुमसे होत जगत कल्याना ।।

हमरो करहू तुम कल्याना ।   अर्ज एक है देहुँ तुम ध्याना ।।


हममें है सब दुर्गुण भारी ।   एक तुम्ही हो बस सदाचारी ।।

दूर करो सब दोष बिहारी ।।  अरदास ये तुमसे हमारी ।।


तुम दीप हो जगत अँधियारा ।  तुमसे जग में है उजियारा ।।

हमें भी तुम ज्योति दो साईं ।   सबकी तुमसे यही दुहाई ।।


तुम रहते प्रसन्न हर बारा ।   बाकी जगत सदा दुखियारा ।।

दूर करो सबकी बदहाली ।   यही मांग रहे  हम कपाली ।।


भक्ति भाव ना जाने कोई ।   पूजा पाठ न हमसे होई ।।

हमें सद्गुण तुम देहुँ कोई ।   अर्चना करें ये सब कोई ।।


क्षमा करो सब पाप हमारे ।  शरण में हैं अब हम तुम्हारे ।।

सदगति हमें दे धनुर्धारी ।   यह प्रार्थना है अब हमारी।।


                                   

                                                दिलीप कुमार


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