Monday, 21 September 2020

ग़ज़ल

 समझदार होकर तुम क्यों सवाल करते हो,

बेवजह ,बेबुनियाद क्यों बवाल करते हो।


जैसे चलते आया है वैसे चलने दो,

हमें रोकने खड़ी क्यों दीवाल करते हो।


बोलने वालों का हश्र तुम्हें पता ही है, 

फिर भी बोलकर अपना क्यों काल करते हो।


तुम भी चुपचाप अपना काम करते रहिए, 

यूँ ही हमारे आगे क्यों गाल करते हो। 


हालात ठीक ठाक है बनिस्बत पहले के, 

इसे खराब करने का क्यों ख़्याल करते हो।                 


बोलना ठीक नहीं विरोध में जानते हो,

फिर बोलकर खून में क्यों उबाल करते हो,


सब मौन नतमस्तक हो सजदा कर रहें हैं, 

तो तुम पूछकर ऊँचा क्यों भाल करते हो।


                           -  दिलीप कुमार

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