Wednesday, 8 April 2020

दोहे - जीवन एक संग्राम


दोहे -  जीवन एक संग्राम
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जीवन एक संग्राम है, योद्धा हम सब लोग,
लड़ यहाँ जी जान से कि, याद रखे सब लोग।

जीवन एक परीक्षा है, या परीक्षा समान,
बचपन तो सरल लागे, जवानी कठिन जान।

मुँह मोड़ न मेहनत से, मेहनत में लग चल,                
कभी न कभी मिले यहाँ, मेहनत के शुभ फल।

काम जैसे पूजा है, तुम भी करो जी भर,
कर्म करके कर्मवीर, शोभते सिद्धि -शिखर।

धीरे धीरे चल यहाँ, दौड़ो  ना तुम तेज,
तेज धावक थकान से, गिरे भए निस्तेज।

ना तुम गलत सलाह दो, ना दो गलत उपाय,
जो ऐसा करते  यहाँ, कभी  न वो सुख  पाय।

तुमसे जितना हो सके, उतना कर सहयोग,
दूर हटे सहयोग से,  दीनता, दुख  व रोग।

कभी ना पाव थामिए, चलते रहो हर दम,
जीवन ज्योति जब न जले, थामिए तभी कदम।

जीवन एक चुनौती है, करो इसे स्वीकार,                   
हँस कर जी हर हाल में, जीत मिले या हार।

सदा सीखना चाहिए, सीखना श्रेष्ठ बात,
जो सदा सीखते यहाँ, मिले न उनको मात।

   
                                      दिलीप कुमार

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