श्रम का कर संकल्प
-------------------------
अगर तुमको जीत मिले , तो उड़ो न स्वच्छन्द।
कभी न करना हार से , प्रयास अपना बन्द ।
अगर तुमको हार मिले, तो हो न तुम उदास ।
जीत होती तभी यहाँ , जब होत नित प्रयास ।
इच्छा कम ही राखिए , अगर पाना है सुख ।
अपूरित अरमानों से , मिले असहनीय दुख ।
अगर सफलता चाहिए , श्रम का कर संकल्प ।
श्रम है कुंजी एकमात्र , दूजा नहीं विकल्प ।
लालच को न जीताना , सन्तोष की दे बलि ।
जो लालच से जीतते , वे ही असली बली ।
राही गर भटके मिले , व पूछत फिरे राह ।
मार्ग सही दिखाकर तुम , आशीष ले अथाह ।
गर शांति तुम्हें चाहिए , तो दर-दर ना भटक ।
शांति तेरे घट में है , भला देख जा निकट ।
एक ही लक्ष्य रखने की , कभी न करना भूल ।
विकल्प गर साथ हो तो ,जरूर खिले जय-गुल
अगर मन में हो संशय , व कर न सको निश्चय ।
अंतरमन सुन लीजिए , अपने सभी निर्णय ।
जो सुनते खुद की सदा , हो न उन्हें अनुताप ।
जो सुनते पर की सदा , होत उन्हें सन्ताप ।
दिलीप कुमार
-------------------------
अगर तुमको जीत मिले , तो उड़ो न स्वच्छन्द।
कभी न करना हार से , प्रयास अपना बन्द ।
अगर तुमको हार मिले, तो हो न तुम उदास ।
जीत होती तभी यहाँ , जब होत नित प्रयास ।
इच्छा कम ही राखिए , अगर पाना है सुख ।
अपूरित अरमानों से , मिले असहनीय दुख ।
अगर सफलता चाहिए , श्रम का कर संकल्प ।
श्रम है कुंजी एकमात्र , दूजा नहीं विकल्प ।
लालच को न जीताना , सन्तोष की दे बलि ।
जो लालच से जीतते , वे ही असली बली ।
राही गर भटके मिले , व पूछत फिरे राह ।
मार्ग सही दिखाकर तुम , आशीष ले अथाह ।
गर शांति तुम्हें चाहिए , तो दर-दर ना भटक ।
शांति तेरे घट में है , भला देख जा निकट ।
एक ही लक्ष्य रखने की , कभी न करना भूल ।
विकल्प गर साथ हो तो ,जरूर खिले जय-गुल
अगर मन में हो संशय , व कर न सको निश्चय ।
अंतरमन सुन लीजिए , अपने सभी निर्णय ।
जो सुनते खुद की सदा , हो न उन्हें अनुताप ।
जो सुनते पर की सदा , होत उन्हें सन्ताप ।
दिलीप कुमार
No comments:
Post a Comment